एक एक कदम पे इतने इम्तिहान किस लिए इतने सारे दर्द, और एक इंसान,किस लिए. सब के अंदर अच्छा बुरा दोनों मौजूद हैं अक्सर जीत जाता है शैतान किस लिए मेरा नहीं है सब कुछ, है तेरा दिया हुआ हो जाता है फिर किसी को गुमान किस लिए माँगा था प्यार में ज़िंदगी तुम से, पर दिया तूने प्यार में मौत किस लिए
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम से रोना आया. ना जाने क्यों आज तेरे नाम से रोना आया, यु तो हर शाम उम्मीद में गुज़र जाती हैं. आज कुछ बातें याद आयी तो शाम पे रोना आया. कभी तक़दीर, कभी मातम,कभी दुनिया का गिला, मंज़िल-इ-इश्क़ के हर काम पे रोना आया जब हुआ ज़माने में मोहब्बत का ज़िक्र. मुझे अपने दिल-इ-नाकाम पे रोना आया