आग उगलते हैं तेरे शहर के लोग


कैसे आऊं तेरे शहर की ओर,
आग उगलते हैं तेरे शहर के लोग,
मैं तो टूटा एक साक का पत्ता हूँ,
फूल तक कुचलते हैं तेरे घर के लोग.

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