Love Poem, Kisi Ke Gam

किसी के गम,अपने बनाने को जी करताहै
किसी को दिल में,बिठाने को जी करताहै

आज दिल को क्या हुआ,खुदा जाने
बुझती हुई शमा,फिर जलाने को जी करताहै

आफतों ने,जर्जर कर दिया घर मेरा
उसकी दरोदीवार,फिर सजाने को जी करताहै

एक मुद्दत गुज़री,जिसका साथ छूटे
आज फिर,उसका साथ पाने को जी करताहै

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